चीन और भारत के बीच में 1962 में सीधी जंग हुई थी. बेशक इसमें भारत को मात खानी पड़ी हो, लेकिन अब वक्त बदल चुका है. आज के दौर में यदि भारत और चीन के बीच टकराव के हालात बनते हैं तो ड्रैैगनको मुंह की खानी पड़ सकती है.
भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं (फाइल)
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चीन बार-बार कोई न कोई ऐसी हरकत कर ही देता है, जिससे बखेड़ा खड़ा हो जाता है. अबकी बार ड्रैगन ने फिर एक बारअरुणाचल प्रदेश के 11 इलाकों के नाम बदलने की कोशिश की है. भारत ने इसका कड़ा विरोध तो जता दिया है, लेकिन चीन की इस कोशिश को उसकी उसकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जो वह पहले डोकलाम, गलवान और तवांग में दिखा चुका है.
चीन ने सबसे पहले 2017 में अरुणाचल के इलाकों का नाम बदला था. इसके बाद ही डोकलाम में भारत और चीन के बीच झड़प हुई. 75 दिन तक भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने रहीं, बाद में चीन को पीछे हटना पड़ा. गलवान में तो इस झड़प ऐसा हिंसक रूप लिया था कि कई भारतीय जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद तवांग में चीन की सेना और भारतीय जवानों के बीच झड़प हुई थी. अब एक बार फिर चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 इलाकों के नाम बदलकर इस संभावना को और पुख्ता कर दिया है कि चीन फिर से कुछ न कुछ प्लान कर रहा है.
क्या ये फाइव फिंगर पॉलिसी का हिस्सा है?
चीन के अगले कदम के बारे में कयास लगाने से पहले हमें चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी को समझना होगा. दरअसल 1940 के दशक में चीन में कई राजनीतिक बदलाव हुए, लाल क्रांति के बाद माओ से-तुंग सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे, माओ ने ही चीन की विस्तारवादी नीति को बल दिया और तिब्बत को चीन का ही एक हिस्सा माना. माओ ने ही तिब्बत से जुड़े इलाकों को चीन में शामिल करने पर जोर दिया. चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी भी इसी का हिस्सा है, इसमें पांच ऐसे हिस्से हैं जिन पर चीन अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश में लगा है. इनमें लद्दाख, सिक्किम, नेपाल, अरुणाचल प्रदेश और भूटान से जुड़े इलाके शामिल हैं. इन सभी इलाकों से भारत की सीमा भी लगती है इसलिए चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी सीधे तौर पर भारत को प्रभावित करती है.
1949 से शुरू हुई कहानी
फाइव फिंगर पॉलिसी की शुरुआत से पहले चीन ने विस्तारवादी नीति को बढ़ावा दिया. 1949 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आने के बाद से पड़ोसी देशों पर कब्जा करने की नीति को बल दिया जाने लगा. सबसे पहले तिब्बत शिकार हुआ. इसके बाद तुर्किस्तान पर कब्जा जमाया गया और फिर मंगोलिया पर भी कब्जा कर लिया गया. इस बीच चीन लगातार ताइवान पर भी अपना दावा जताता रहा है. 1997 में चीन ने हांगकांड और इसके तुरंत बाद मकाउ पर भी कब्जा कर लिया था.
17 देशों से है चीन का सीमा विवाद
चीन का असली मकसद क्या है, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है. दरअसल चीन का पड़ोसी 17 देशों के साथ सीमा विवाद है. 14 देशों के साथ 22 हजार किमी लंबी सीमा पर जमीन विवाद और अन्य देशों के साथ समंदर को लेकर विवाद चल रहा है. तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख रहे लोबसांग सांग्ये ने 2021 में इस बावत कहा था कि तिब्बत तो एक बहाना है, असल में चीन फाइव फिंगर के तौर पर माने जाने इलाके पर कब्जा जमाने की चाहत रखता है.