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Home जनरल नॉलेज

नॉलेज //

lokvikasindia by lokvikasindia
March 24, 2023
in जनरल नॉलेज
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नॉलेज //

रे देश में अभी 5जी तकनीक नहीं पहुंच पाई है, लेकिन पीएम मोदी के मुताबिक अगले कुछ साल में 6जी रोलआउट होने की पूरी उम्मीद है. यह एक ऐसी योजना है, जिसे लगातार काम करके साकार किया जा सकता है. पढ़िए अक्षित जोशी का विश्लेषण

6G Vision in India : समझिए लॉन्ग टर्म के लिए कितना सही है पीएम मोदी का ये कदम

पीएम मोदी ने हाल ही में 6G विजय डॉक्यूमेंट लांच किया था.

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Image Credit Source: PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (22 मार्च) को देश के लिए 6G विजन डॉक्यूमेंट का उद्घाटन किया और 5जी रोलआउट के महज छह महीने बाद 6जी आरएंडडी टेस्ट बेड लॉन्च कर दिया.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘देश में 5जी शुरू होने के महज छह महीने बाद आज हम 6जी के बारे में बात कर रहे हैं. इससे भारत का आत्मविश्वास झलकता है. आज हम विजन डॉक्यूमेंट लेकर आए हैं. यह 6जी के रोलआउट के लिए बड़ा आधार बनेगा.’

प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) और इनोवेशन सेंटर का उद्घाटन भी किया, जिसे सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैक्स (C-DoT) कैंपस में स्थापित किया गया. इसके लिए फंडिंग पूरी तरह भारत ही करेगा.

5G से 6Gतक

दूरसंचार विभाग की ओर से जारी विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया कि 5जी तकनीक में 40 से 1100 एमबीपीएस की स्पीड मिलने का दावा किया गया है, जिसमें अधिकतम 10 हजार एमबीपीएस की स्पीड पहुंचने की क्षमता है. वहीं, 6जी तकनीक में एक टेराबिट प्रति सेकेंड स्पीड के साथ अल्ट्रा-लो लेटेंसी भी मिलेगी, जो 5जी की टॉप स्पीड से एक हजार गुना ज्यादा है.देश में टेलीकॉम की सफलता की कहानी के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2014 में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या 25 करोड़ थी, जो आज बढ़कर 85 करोड़ हो चुकी है.

3जी और 4जी की तुलना में 5जी में लो लेटेंसी है, जिससे अलग-अलग तरह के तकनीकी क्षेत्रों में यूजर्स का अनुभव बेहतर हुआ है. लो लेटेंसी बेहद कम देरी के साथ बहुत ज्यादा मात्रा में डेटा संदेशों की प्रोसेसिंग करने की क्षमता को दिखाती है और तेजी से बढ़ती इस प्रोसेसिंग स्पीड का इस्तेमाल हमारे तेजी से विकासशील देश के लिए अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में आगे कहा, ‘इन सभी का असर यह है कि हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था देश की समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में ढाई गुना तेजी से बढ़ रही है.’

125 शहरों में 5 जी का विस्तार

गौर करने वाली बात यह है कि देश में 5जी भी अभी समान रूप से काम नहीं कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत 5जी मोबाइल तकनीक को सबसे तेज गति से शुरू करने वाले देशों में से एक है. उन्होंने बताया कि 5जी की शुरुआत के 120 दिन में ही सेवाओं का विस्तार 125 शहरों में कर दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘भारत आने वाले दिनों में 100 नई 5जी लैब स्थापित करेगा. ये लैब देश की खास जरूरतों के हिसाब से 5जी एप्लिकेशंस को डिवेलप करने में मदद करेंगी.’पीएम मोदी द्वारा अनावरण किया गया ‘भारत 6जी’ विजन डॉक्यूमेंट अब हमारी तकनीकी तरक्की का अगला कदम है. इसे टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप ने 6जी पर तैयार किया है. यह ग्रुप देश में 6जी के लिए रोडमैप और कार्ययोजना बनाने के मकसद से नवंबर 2021 के दौरान तैयार किया गया था, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, रिसर्च एवं डिवेलपमेंट इंस्टिट्यूशंस, शिक्षाविदों, मानकीकरण निकायों, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स और इंडस्ट्री के सदस्य शामिल हैं.

क्या भारत में कार्यान्वयन संभव है?

भले ही पूरे देश में अभी 5जी तकनीक नहीं पहुंच पाई है, लेकिन पीएम मोदी के मुताबिक अगले कुछ साल में 6जी रोलआउट होने की पूरी उम्मीद है. यह एक ऐसी योजना है, जिसे लगातार काम करके साकार किया जा सकता है. पीएम मोदी ने कहा कि इस योजना को साकार करने के लिए देश के पास दो प्रमुख शक्तियां हैं. इनके नाम ‘ट्रस्ट और स्केल’ हैं.

पीएम मोदी ने कहा, ‘ट्रस्ट और स्केल के बिना हम तकनीक को हर नुक्कड़ और कोने तक नहीं ले जा सकते हैं. मैं कहूंगा कि विश्वास वर्तमान तकनीक के लिए एक उपसर्ग है. 100 करोड़ मोबाइल फोन के साथ भारत तकनीक से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है. सस्ते स्मार्टफोन और सस्ते डेटा ने भारत का कायापलट कर दिया है.’

यह दशक भारत का टेक एड

प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्नोक्रेट्स और उद्यमियों से इस मैदान में कदम रखने का आह्वान करते हुए कहा, ‘मैं इस क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को एक चुनौती दे रहा हूं कि हम अक्टूबर से पहले कुछ ऐसा करें, जो गरीब से गरीब देश के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक हो. यह दशक भारत का ‘टेक-एड’ है. भारत का टेलीकॉम और डिजिटल मॉडल स्मूद, सिक्योर और ट्रांसपैरेंट है. वहीं, दक्षिण एशिया के सभी मित्र देश इसका लाभ उठा सकते हैं.’

व्यावहारिक और यथार्थवादी रोशनी में चीजों को देखते हुए सरकार को अपने सपने साकार करने के लिए तकनीकी प्रभुत्व के अपने दृष्टिकोण को ठोस नीति विनियमों और निवेशों में बदलना होगा. कुछ शहरों में नेशनल टूल के एडवांसमेंट के लिए सिर्फ एक प्रोटोटाइप से 6जी प्रोजेक्ट को स्केल करने के मकसद से प्रभावशाली रिसर्च और एप्लिकेशंस की जरूरत है.

छठी पीढ़ी (6G) वायरलेस कम्युनिकेशन नेटवर्क इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के माध्यम से भी सर्विस और एप्लिकेशंस की सेवाएं प्रदान करेगा. इसके लिए पहले से मौजूद तकनीक में इनोवेशन पहले से काफी ज्यादा करना होगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जितनी तेजी से तरक्की कर रहा है, उतनी ही तेजी से अपना आधार भी बना रहा है. ऐसे में इस डिवेलपमेंट को ध्यान में रखते हुए 6जी सर्वर बनाए जाने की जरूरत है.

टेक्नोलॉजी की लिमिट को आगे बढ़ाना चुनौती

सब-टीएचजेड बैंड के भीतर ऑप्टिमल ऑपरेशन के लिए सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीस की लिमिट को आगे बढ़ाना भी जरूरी है. 6जी के इस्तेमाल से संबंधित हाई पीक डेटा रेट्स के लिए अत्याधुनिक रिसीवर डिजाइन और आर्किटेक्चर की भी जरूरत है.यदि भारत को 6जी में लीडरशिप पोजिशन हासिल करने की अपनी इच्छा को साकार करना है तो उसे हाई क्वालिटी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी और रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के मामले में भी अहम इजाफा करना होगा. सिर्फ हार्डवेयर ही नहीं, बल्कि सॉफ्टवेयर और बेस टेक्नोलॉजीज को भी घर में डिवेलप करने की जरूरी है, जिसकी हमारे देश में काफी कमी है.

अगर हम 6जी योजना को हकीकत में बदलना चाहते हैं तोइसके लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में इसके रिसर्च इंस्टिट्यूशंस और टेक्नोलॉजिकल सेंटर्स में निवेश की जरूरत होगी.

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