नई स्टडी कहती है कि रकून कुत्तों के जरिए कोरोनावायरस फैला. वुहान के बिकने वाले रकून कुत्तों के जेनेटिक सैम्पल में इसकी पुष्टि हुई. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके जरिए ही इंसानों तक कोरोनावायरस पहुंचा. जानिए कितना अलग है रकून डॉग.
नई रिसर्च में चीन के वुहान में बिकने वाले रकून डॉग से कोरोना फैलने की बात कही गई है.
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अब तक कहा जा रहा था कि चीन की वुहान मार्केट में चमगादड़ों के जरिए कोरोनावायरस फैला, लेकिन हालिया रिसर्च रिपोर्ट चौंकाती है. नई स्टडी कहती है कि रकून कुत्तों के जरिए कोरोनावायरस फैला. वुहान के बिकने वाले रकून कुत्तों के जेनेटिक सैम्पल में इसकी पुष्टि हुई. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके जरिए ही इंसानों तक कोरोनावायरस पहुंचा.
यह दावा अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है. इसमें अरिजोना, कैलिफोर्निया और सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शामिल हैं. जानिए कितना अलग है रकून डॉग और चीन से इसका क्या कनेक्शन है.
कितना अलग है रकून डॉग?
रकून न तो लोमड़ी है और न ही कुत्ता. इसे समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि रकून क्या होता है. रकून एक स्तनधारी जानवर होता है. इसके शरीर की लम्बाई 40 सेंटीमीटर से 70 सेंटीमीटर तक होती है. वजह 3.5 से 9 किलो तक होता है. भूरे बातों से ढका रहने वाला यह जानवर रात के समय सबसे ज्यादा एक्टिव होता है और बालों से ढका होता है.
रकून डॉग का कनेक्शन कैनिड फैमिली से है, जो लोमड़ी से ताल्लुक रखती है. दिलचस्प बात यह है कि यह न तो लोमड़ी है, न कुत्ता और न ही पूरी तरह से रकून.
इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन सबसे कॉमन प्रजाति Nyctereutes procyonoides है इससे ही वुहान में कोरोना वायरस फैलने की बात कही जा रही है. वहीं दूसरी प्रजाति Nyctereutes p. viverrinus है जिसे जापानी रकून डॉग के नाम से जाना जाता है.
इसका वजन करीब 7 किलो होता है और सर्दियों के दिनों में इनके शरीर पर अधिक फर हो जाते हैं जो इन्हें मौसम के असर से बचाते हैं.
चीनी रकून डॉग का बीमारी से कनेक्शन
इसकी उत्पत्ति मुख्यतौर चीन, कोरिया और जापान से जुड़ी मानी जाती हैं, यूरोप में इन्हें पहली बार 1920 में इनकी खाल के व्यापार के लिए लाया गया था. पिछले कई दशकों से चीन में बड़े स्तर पर इसकी खाल का व्यापार किया जा रहा है. इसके लिए हर साल चीन में लाखों रकून डॉग्स की हत्या की जाती है. यही वजह है कि चीन इनकी खालों का सबसे बड़ा निर्यातक है.
इन्हें चीन से कई देशों में पिंजड़ों में भेजा जाता है. कई बार इनके जरिए बीमारी फैलने की बात सामने आई है. NPR की रिपोर्ट के मुताबिक, 2003 में भी इसमें ऐसा वायरस पाया गया था जो कोरोनावायरस जैसा ही था.
महामारी की शुरूआत कैसे हुई, इसे समझने के लिए 2022 में नई स्टडी शुरू की गई. 2022 में हुए अध्ययन के लिए चीन में 18 प्रजातियों के लिए 2 हजार ऐसे जानवरों के सैम्पल लिए गए थे, जिसे इंसान खाते हैं. इनमें रकून डॉग भी शामिल था. इस जानवर को इसलिए भी स्टडी का हिस्सा बनाया गया क्योंकि इसमें वो वायरस मिला था जिसने इंसानों में संक्रमण फैलाया था.