यह कानून 23 सितंबर, 1980 को तैयार किया गया था. इसका उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 (3) में किया गया है, जो राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के हित से जुड़ा हुआ है.
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एनएसए यानी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (National Security act) एक बार फिर चर्चा में है. पंजाब में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के पांच साथियों पर NSA लगा दिया गया है. दरअसल पंजाब के आईजीपी सुखचैन सिंह ने बड़ा खुलासा किया है कि अमृतपाल सिंह का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से संबंध है. लिहाजा इसके गैंग के सभी सदस्यों की हर तरीके से जांच पड़ताल की जानी जरूरी है. उसका गैंग देश की सुरक्षा के लिए खतरा है.
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम देश की सुरक्षा से जुड़ा एक अहम कानून है. यह कानून (एनएसए) केंद्र सरकार या राज्य सरकार को उस व्यक्ति को हिरासत में लेने की अनुमति देता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल हो.
एनएसए की प्रमुख विंदुओं को समझिए
NSA का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 (3) में किया गया है, जो राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के हित से जुड़ा है. यह कानून किसी व्यक्ति को भारत की सुरक्षा के प्रतिकूल काम करने से रोकता है. अगर कोई व्यक्ति विदेशों से संंबंध होने पर भारत के लिए खतरा साबित हो सकता है तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है. अधिनियम सरकार को विदेशियों को हिरासत में लेने और उनकी उपस्थिति को खारिज करने या उन्हें भारत से बाहर निकालने का अधिकार देता है.
कैसे बना राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ?
NSA अधिनियम 1980 औपनिवेशिक युग की देन है. 1818 मेंं बंगाल रेगुलेशन III के तहत ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार दे दिया था.
स्वतंत्रता के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (MISA) पेश किया था. लेकिन इसे 1977 में निरस्त कर दिया गया और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) 1980 अस्तित्व में आया.
एनएसए आखिर क्यों मायने रखता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 (1) में कहा गया है कि एक गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के कानूनी पेशेवर से परामर्श करने और बचाव करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 50 के अनुसार गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और उसे जमानत का अधिकार है.
लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत इनमें से कोई भी अधिकार हिरासत में लिए गए व्यक्ति को हासिल नहीं है. सरकार के पास ऐसी जानकारी छिपाने का अधिकार है, जिसे वह देश के हित के विरुद्ध मानती है.