किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने अपनी एक स्टडी में मां के दूध में पेस्टिसाइड्स यानी कीटनाशक पाए जाने का दावा किया है। स्टडी में यह भी कहा गया है कि शाकाहारी महिलाओं की तुलना में मांसाहारी महिलाओं के दूध में अधिक कीटनाशक पाए गए।
सब्जियां और फसलें पेस्टिसाइड्स और केमिकल्स की मदद से उगाईं जा रही हैं। चिकन को जल्दी बड़ा करने और मवेशियों का दूध बढ़ाने के लिए भी केमिकल्स मिले सप्लीमेंट्स दिए जा रहे हैं, और यही कीटनाशक महिलाओं के दूध में भी पहुंच रहे हैं।
महिला के कॉर्ड ब्लड में मिले पेस्टिसाइड्स
डॉ. अब्बास अली मेहंदी और डॉ. नैना द्विवेदी के साथ मिलकर 130 महिलाओं पर यह स्टडी करने वालीं डॉ. सुजाता देव ने ‘वुमन भास्कर’ को बताया कि असल में डिलीवरी के लिए आई महिला के कॉर्ड ब्लड में पेस्टिसाइड्स का लेवल बढ़ा हुआ पाया गया। इसके बाद हमने यह जानने की कोशिश की कि क्या यह कीटनाशक ब्रेस्ट मिल्क में भी जा रहा है? और स्टडी के लिए सैंपल लिए गए।
डॉ. सुजाता के मुताबिक मां के दूध में पेस्टिसाइड्स या टॉक्सिक एलिमेंट का असर तुरंत नजर नहीं आता है। जब बच्चा पांच-छह साल का होता है, तब सिम्पटम्स नजर आने शुरू होते हैं।
पेस्टिसाइड्स कितनी देर तक ह्यूमन बॉडी में रहता है? इस सवाल पर ऑब्स्टेट्रिसियन गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुजाता कहती हैं कि यह टॉक्सिकोलोनॉजिस्ट बताएंगे।
लेकिन इतना साफ है कि अधिकतर बीमारियां एन्वायरमेंटल फैक्टर की वजह से हो रही हैं। कैंसर के मामलों में भी इसीलिए तेजी आई है।
सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन (CDC) और ‘एन्वायरमेंटल साइंस एंड टेक्ननोल़जी’ की 2021 में छपी रिसर्च के मुताबिक मां के दूध में जहरीले केमिकल्स (पॉलीफ्लूरोएल्किल) पाए गए। इन केमिकल का ज्यादातर इस्तेमाल फूड पैकेजिंग, कपड़े बनाने और कारपेट के दाग-धब्बों छुड़ाने के लिए किया जाता है। ब्रेस्ट मिल्क में पेस्टिसाइड्स बच्चों के विकास को प्रभावित करने के साथ ही उनमें इन बीमारियों की वजह भी बनते हैं।
- भ्रूण के विकास को खतरा
- बच्चे के व्यवहार में बदलाव
- बेबी की ग्रोथ प्रभावित होना
- दिमागी विकास पर निगेटिव असर
- बच्चे में लिवर और पेट की बीमारी
- हॉर्मोनल और इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी
- लड़के के बड़े होने पर स्पर्म काउंट में कमी
- कैंसर का खतरा
- जन्मजात बीमारियां
- पहली बार 1951 में मां के दूध में मिला था DDT
- 1951 की बात है, जब पहली बार मां के दूध में DDT जैसा कीटनाशक मिला जो पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। कई साल बाद मां के दूध में सिर्फ डीडीटी ही नहीं, बल्कि कई और भी नुकसानदायक तत्व मिले।
- इनमें बिसफेनॉल ए, पॉलीब्रोमिनेटेड डाईफेनिल ईथर्स, हेक्साक्लोरोबेंजीन और साइक्लोडीन पेस्टीसाइड्स जैसे घातक केमिकल भी शामिल थे।
- बरसों जिंदा रहने वाले केमिकल्स भी होते हैं बच्चे को ट्रांसफर
- मां के दूध में बरसों तक रहने वाले लिपोफिलिक केमिकल्स भी पाए गए, जो मां के ब्रेस्ट के एडिपोज टिश्यू में रहते हैं।
- अपने बच्चे के लिए दूध बनाने के लिए मां का शरीर जीवनभर एडिपोज टिश्यू में फैट जमा करता रहता है, ताकि उसके बच्चे को कभी भी दूध की कोई कमी नहीं हो।
- वर्ष 2007 में छपी एडवांसेज इन नियोनेटल केयर नाम की रिसर्च के मुताबिक, यही दूध जब बच्चा पीता है तो ये केमिकल्स दूध के जरिए उसकी बॉडी में भी आ जाते हैं।
- मां के दूध में मिले टॉयलेट की दुर्गंध दूर करने वाले केमिकल
- 2005 में न्यूयॉर्क टाइम्स मैग्जीन में छपी एक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था।
- फ्लोरेंस विलियम्स ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा था कि मांएं अपने दूध के साथ बच्चों को न सिर्फ फैट, शुगर और प्रोटीन ही दे रही हैं, बल्कि वह शिशु को पेंट थिनर्स, ड्राई क्लीनिंग फ्लुईड्स, लकड़ी को सुरक्षित रखने वाले केमिकल्स, टॉयलेट की दुर्गंध दूर करने वाले केमिकल, कॉस्मेटिक एडिटिव्स, पेट्रोलियम बाई प्रोडॅक्ट्स, रॉकेट फ्यूल, कीड़ों को मारने वाले केमिकल्स और फंफूद हटाने वाले केमिकल्स भी पिला रही हैं।
- बचपन बचाने को चार मांओं ने चलाई मुहिम
- इस रिपोर्ट के आने के बाद 4 मांएं एकजुट हुईं जिनके अपने बहुत छोटे बच्चे थे और 2005 में उन्होंने ‘मेक अवर मिल्क सेफ’ (मॉम्स) नाम से एक संगठन बनाया।
- इनका काम प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान मांओं के सुरक्षित खानपान को लेकर जागरूकता बढ़ाना था।
- ‘मॉम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज, एंजाइम्स और कई अच्छी चीजें होने के साथ ही दर्जनों ऐसी चीजें भी पाई जाती हैं, जो बेबी की हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- इसके मुताबिक एक प्लास्टिक कंपाेनेंट BPA (बीसाफेनॉल-A), आग बुझाने वाला केमिकल PBDE, रॉकेट उड़ाने में इस्तेमाल होने वाला परक्लोरेट, फर्श की साफ-सफाई करने वाला परफ्लूरिनेटेड केमिकल्स (PFC), प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाला फैथेलेट्स, प्लास्टिक पाइपों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला PVC और हैवी मेटल कैडमियम, लेड और मर्करी तक ब्रेस्ट मिल्क में मिला है।
- अमेरिका की ओहायो स्टेट और जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटीज ने अपनी कई रिसर्च में यह पाया कि मां के दूध में ये केमिकल्स घर से ज्यादा बाहर की दूषित हवा में सांस लेने से आते हैं।
- मां के दूध से ज्यादा शिशु को हवा में मौजूद पॉल्यूशन की वजह से 25 से 135 गुना ज्यादा दूषित तत्वों को झेलना पड़ता है।
- आगे मां के दूध के अनेक पहलुओं पर बात करेंगे लेकिन पहले जान लेते हैं इसमें क्या क्या पाया जाता है।
- दैनिक भास्कर डॉटकॉम से साभार