छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में महिलाओं ने बाड़ी योजना का बेहतर ढंग से लाभ उठाया है. इस योजना की वजह से महिलाओं की इनकम बढ़ गई है. खास बात यह है कि इस योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बना दिया है. जिले के पाटन पंचायत स्थित आदर्श गौठान केसरा की महिलाओं ने बाड़ी योजना के तहत लाखों रुपये की कमाई की है. समूह एवं संगठन की महिलाओं ने फूलगोभी, बरबट्टी, मूली, भाटा, गवांरफल्ली, लालभाजी और मेथी सब्जी उत्पादित कर 17 लाख 49 हजार 330 रुपये की कमाई की है.
केसरा की 11 स्व सहायता समूह की महिलाएं 25 एकड़ भूमि में जैविक सब्जी उत्पादित कर स्थानीय बाजार की जरूरतों को पूरा कर रही हैं. इसमें कुल 26 सदस्य शामिल हैं, जो सब्जी का उत्पादन कर रही हैं. शुरुआत में स्व सहायता समूह की महिलाओं को लगभग 2 लाख 43 हजार 170 रुपये की आमदनी हुई. आज वे इससे ज्यादा की राशि की कमाई कर रही हैं.
19 लाख की कमाई की
छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के मुताबिक, स्व सहायता समूह की महिलाओं ने लगभग 79 हजार 700 रुपये की लागत से सब्जी की खेती कर 19 लाख 92 हजार रुपये की कमाई की है. इसमें इन महिलओं ने लगभग 17 लाख 49 हजार रुपये का मुनाफा कमाया है. महिलाओं ने बताया कि पौधों का रोपण मौसमी सब्जी के कैलेंडर के अनुरूप योजनाबद्ध तरीके से तीन चरणों में किया जाता है. सामुदायिक बाड़ी के माध्यम से स्व सहायता समूहों की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो गई हैं.
राधिका ने अपने लिए पायल खरीदा है
सामुदायिक बाड़ी में काम करने वाली महिला स्व सहायता समूहों में जय मां चण्डी, मां गायत्री, मां लक्ष्मी, खुशी, जय मां शीतला, विंध्यवासिनी, निहारिका, अम्बिका, सिता, पंचमुखी और जय मां दंतेश्वरी स्व सहायता समूह की सदस्य शामिल हैं. गायत्री स्व सहायता समूह की अंजू सेन ने बताया कि 2019 से अब तक एक लाख दो हजार रुपये की राशि प्राप्त हो चुकी है, जिससे मैंने स्कूटी खरीदी. वहींं, खुशी स्व सहायता समूह की नंदनी ठाकुर ने बताया कि मेरे पास पहले रहने के लिए कच्चा घर था. अब मैंने 3 लाख 50 हजार रुपये से अपना पक्का घर बना लिया है. जय मां लक्ष्मी समूह की राधिका ने अपने लिए पायल खरीदा.