पश्चिम बंगाल में 11 बच्चों में एडीनोवायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ के बाद उनकी जांच की गई थी. कोलकाता में इसका अलर्ट जारी किया गया. जानिए, क्या है एडीनोवायरस, कैसे पहचानें और यह कितना खतरनाक है.
देश में डेंगू और कोरोना के बाद अब एडीनोवायरस के मामले सामने आए हैं. पश्चिम बंगाल में 11 बच्चों में एडीनोवायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ के बाद उनकी जांच की गई थी. कोलकाता में इसका अलर्ट जारी किया गया. मामलों को रोकने के लिए कोलकाता में स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती की गई है, जो बच्चों के लक्षणों पर नजर रख रहे हैं
अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, जो बच्चे हमेशा से स्वस्थ रहे हैं अगर उन्हें भी एडीनोवायरस संक्रमित करता है तो जान का जोखिम बढ़ता है.जानिए, क्या है एडीनोवायरस, कैसे पहचानें और यह कितना खतरनाक है.
क्या है एडीनोवायरस और कैसे फैलता है?
वेबएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक, एडीनोवायरस कई तरह के वायरस का समूह है, जो आंख, सांस नली, फेफड़े, आंत, नर्वस सिस्टम और यूरिनरी ट्रैक्ट को संक्रमित करता है. इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं. यह किसी भी उम्र वर्ग के लोगों को संक्रमित कर सकता है. इसका संक्रमण साल में कभी भी हो सकता है. इसका वायरस संक्रमित मरीज को छूने, हाथ मिलाने, संक्रमित चीजों को पकड़ने और हवा में मौजूद खांसी के ड्रॉप्लेट्स से फैलता है. इसलिए साफ-सफाई ही बचाव का सबसे बेहतर उपाय है.
विशेषज्ञों का कहना है मरीज के सम्पर्क में आने के बाद अपने हाथ जरूर धोएं. कुछ एडीनोवायरस मरीजों के मल के जरिए भी फैलते हैं खासतौर पर संक्रमित बच्चे के डायपर को बदलने के दौरान. इसके अलावा इसका वायरस पानी (स्विमिंग पूल) के जरिए भी फैल सकता है.
ये लक्षण दिखते ही अलर्ट हो जाएं?
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी CDC के मुताबिक, एडीनोवायरस का संक्रमण होने पर मरीज में कई तरह के लक्षण दिखते हैं. जो एक से दूसरे मरीज में अलग-अलग हो सकते हैं. बुखार, गले में दिक्कत, सांस नली में सूजन, खांसी, डायरिया, आंखों में गुलाबीपन, पेट में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, आंखों के आसपास सूजन और उल्टी होना जैसे लक्षण मरीज के संक्रमित होने का इशारा करते हैं. इसके अलावा ब्लैडर में सूजन भी हो सकती है, हालांकि यह लक्षण बहुत कम लोगों में नजर आता है. अगर ऐसे कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें.
मरीज में इसके लक्षण दिखने पर कई तरह की जांचों के जरिए इसकी पुष्टि की जाती है. जैसे- ब्लड, यूरिन, स्वाब और स्टूल टेस्ट. इसके अलावा सांस लेने में तकनीफ होने पर चेस्ट एक्सरे कराने की सलाह दी जाती है.
कितना खतरनाक और कौन हैं रिस्क जोन में?
सीडीसी के मुताबिक, एडीनोवायरस का संक्रमण हल्का और गंभीर दोनों तरह से हो सकता है. हालांकि इसके गंभीर संक्रमण के मामले में कम सामने आते हैं. इसके सबसे ज्यादा मामले उन लोगों में आते हैं जिनकी रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर होती है. या फिर पहले से सांस और दिल से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं. एडीनोवायरस का खतरा कितना ज्यादा बढ़ेगा यह निर्भर करता है कि शरीर के किस हिस्से में उसका संक्रमण अधिक हुआ है.
वयस्कों के मुकाबले इसके सबसे ज्यादा मामले बच्चों में सामने आते हैं. 10 साल की उम्र तक ज्यादातर बच्चों में इसके एक न एक वायरस का संक्रमण जरूर होता है. खासतौर पर उन बच्चों में जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है.
एडीनोवायरस का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है, इसलिए कॉमन दवाओं के जरिए मरीज के लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है.