नई दिल्ली : मक्का की खेती (Maize Cultivation) भारत से लेकर कई देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है. मक्का दुनियाभर में कई रुप में खाया जाता है. पॉपकार्न, कॉनफ्लेक्स, रोटी समेत कई जगह से ये उपयोग किया जाता है. खासतौर पर मक्के को भुट्टे के रूप में सब पसंद करते हैं, लेकिन मक्के से दाना निकालना काफी मशक्कत वाला काम है. इसके लिए काफी समय लगता है और यह काफी मेहनत का काम भी है. इन्हीं सब दिक्कतों को देखते हुए मेज शेलर मशीनों (Maize Sheller Machines) को विकसित किया गया है, जिससे मिनट नहीं कुछ ही सेकेंड में मक्के के भुट्टे के सारे दाने अलग हो जाते हैं और मेहनत भी काफी कम लगती है. सरकार की तरफ से इनकी खरीद पर करीब 25 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है.
कई वेरियंट में उपलब्ध है मेज शेलर मशीनें…
कृषि विज्ञान केंद्र, मुजफ्फरपुर की कृषि अभियंता निधि कुमार बताती हैं कि फसलों की गहाई (Threshing of crops) में थ्रेसर का काफी योगदान है. गहाई मशीनों से समय पर गहाई करके पैदावार में होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सका है. मशीनों से गहाई का काम बहुत आसान हो गया है. महीनों तक चलने वाला गहाई काम अब कुछ दिनों में ही खत्म हो जाता है. आजकल मक्का गहाई के लिए एक नया यंत्र काफी लोकप्रिय हो रहा है, जिसका नाम है मेज शेलर. मेज शेलर यंत्र कई तरह वैरियंट में उपलब्ध हैं, पहला मैनुअली ऑपरेटिड मेज शेलर (हाथ से चलने वाला) और दूसरा पावर ऑपरेटिड मेज शेलर, यानि बिजली से चलने वाला.
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कृषि विज्ञान केंद्र, मुजफ्फरपुर की कृषि अभियंता निधि कुमार
300 से 400 रुपये की कीमत के हस्त चालित मेज शेलर भी मार्किट में उपलब्ध
वह बताती हैं कि मैनुअली ऑपरेटिड मेज शेलर यानि हाथ से चलने वाले मेज सेलर से प्रति घंटा 5 से 10 किलो तक मक्के की गहाई की जा सकती है और यह करीब 300 से 400 रुपये की कीमत में कृषि मार्किट में उपलब्ध होता है.
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वहीं, मेज डिहसकर कम शेलर में ड्रम के अंदर स्पाइक टूथ लगे होते हैं, जिससे भुट्टे से 100 प्रतिशत तक दाने निकलते है. मेज शेलर यंत्र से प्रति घंटा 4 से 5 कुन्टल भुट्टों की गहाई आसानी से हो जाती है. इस यंत्र को चलाने के लिए 35 हार्स पॉवर से अधिक एच.पी. के ट्रैक्टर की जरूरत होती है, इसमें अधिकतम 2 प्रतिशत दानों की हानि हो सकती हैं. किसान ट्रेक्टर के पी. टी. ओ. से जोड़कर इसको चला सकते हैं.
इतने हजार रुपये तक का किसानों को मिलता है अनुदान
यकीनन यंत्रों ने खेती के काम को आसान और फायदेमंद बना दिया है, मगर आज भी देश के सभी किसान इन कृषि यंत्रों को नहीं खरीद पाते है, क्योंकि इन यंत्रों की कीमत काफी अधिक होता है, ऐसे किसानों (Farmers) के लिए सरकार इन यंत्रों की खरीदी पर अनुदान देती हैं. इन मशीनों की खरीद पर केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को 25 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है, जोकि तकरीबन 12 हजार रुपये (करीब 50 हजार रुपये तक की मशीन पर) तक होती है, जबकि राज्य सरकार की तरफ से भी इन मशीनों पर 25 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है.
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Tags: Crop
FIRST PUBLISHED : April 29, 2022, 13:53 IST