नईदिल्ली /बजरंग पूनिया की अगुआई में विनेश फोगाट, संगीता फोगाट, साक्षी मलिक, सोनम मलिक और अंशु मलिक समेत भारत के शीर्ष पहलवानों ने जंतर-मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि संघ पहलवानों के साथ गुलाम जैसा व्यवहार नहीं कर सकता। साथ ही उन्होंने कहा है कि मांग पूरी होने तक वे राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगे। पहलवानों का कहना है कि जब तक प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय की ओर से संज्ञान लेने के बाद ही धरना खत्म करेंगे, अन्यथा जारी रखेंगे।
बजरंग पूनिया समेत लगभग एक दर्जन पहलवान जंतर मंतर पर हैं। बुधवार को दोपहर 12 बजे प्रदर्शन शुरू होने से पहले बजरंग ने कहा, ” हमारा विरोध महासंघ और वह पहलवानों के हितों को ध्यान में रखे बिना जिस तरह से यह काम कर रहा है उसके खिलाफ है। इसका किसी तरह की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। हमने यहां किसी राजनेता को आमंत्रित नहीं किया है। यह विशुद्ध रूप से पहलवानों का विरोध है।”
पहलवानों ने चुपचाप बहुत कुछ झेला है
ओलंपिक मेडल विजेता पूनिया ने यह भी कहा, “हम यहां उन पहलवानों के मुद्दे को उठाने के लिए हैं, जिनकी कोई नहीं सुनता। पहलवानों ने चुपचाप बहुत कुछ झेला है, लेकिन अब हमने तय किया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ की ओर से लिए जा रहे एकतरफा फैसलों के खिलाफ अब हम चुप नहीं रहेंगे। भारत के सभी शीर्ष पहलवान तब तक राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगे जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं और भारतीय कुश्ती महासंघ हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता। यहां के पहलवानों का प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्री कार्यालय से अनुरोध है कि वे हमारी और खेल की मदद करें।”
पदक जीतने पर हर कोई जश्न मनाता है, उसके बाद कोई परवाह नहीं करता
बजरंग पूनिया ने आगे कहा, “जब हम भारत के लिए पदक जीतते हैं तो हर कोई जश्न मनाता है, लेकिन उसके बाद किसी को परवाह नहीं होती कि हमारे साथ महासंघ द्वारा कैसा व्यवहार किया जाता है। अगर हमें पीएमओ और गृहमंत्री के कार्यालय से वादा किया जाता है कि हमारे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा तो हम अपना विरोध बंद कर देंगे। नहीं तो हम विरोध जारी रखेंगे। पहलवानों के साथ भारतीय कुश्ती महासंघ गुलाम जैसा व्यवहार नहीं कर सकता है। आज हम महासंघ में कई वर्षों से चली आ रही तानाशाही की बात करेंगे। कोई यह भी नहीं पूछता कि कुश्ती को क्या चाहिए। यह उचित नहीं है और हम इसे चुपचाप सहन करते रहे हैं, लेकिन अब और नहीं।”