नईदिल्ली।टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने उभरते हुए खिलाड़ियों के चयन के लिए यो-यो (Yo-Yo) और डेक्सा फिटनेस टेस्ट (Dexa fitness Tests) को अनिवार्य करने के फैसले की आलोचना की है। इसके लिए उन्होंने खुद का उदाहरण दिया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि चयनकर्ता के तौर पर “बायो-मैकेनिस्ट, बॉडी साइंस एक्सपर्ट्स” के काम करना चाहिए। उन्होंने का का मैच जीतने के लिए फिटनेस महत्वपूर्ण है, न कि यो-यो (Yo-Yo) या कोई और टेस्ट। गावस्कर से पहले हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) और कपिल देव (Kapil Dev) भी यो-यो टेस्ट (Yo-Yo Test) पर सवाल उठा चुके हैं।
सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने मिड-डे के लिए कॉलम में लिखा कि कई साल पहले जब यह फिजिकल फिटनेस की सनक शुरू हुई थी तब रिटारय हो चुके टीम के दो पूर्व साथी उस सीजन में अलग-अलग सीरीज में मैनेजर थे। दोनों में से कोई भी खेलते वक्त बहुत फिट नहीं था, लेकिन ज्यादा दूर तक दौड़ने पर जोर देते थे।
सुनील गावस्कर ने क्या कहा?
सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने कहा, ” स्कूल में क्रिकेट खेलता था तब से शिन स्प्लिंट (पिंडली में दर्द) से पीड़ित था। मैदान का एक-दो चक्कर लगाने के बाद ही पिंडली के आसपास की मांसपेशियां जकड़ जाती थीं। इसके बाद चलने में भी दर्द होता था। मैनेजर को उन्होंने यह बात बताई, लेकिन वो नहीं माने। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर प्लेइंग 11 का चयन कौन सबसे ज्यादा दौड़ा इसपर होना है तो उन्हें ड्रॉप कर दिया जाए। फिटनेस व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करता है। ऐसा नहीं है कि हर किसी पर एक ही मानक फिट बैठे। तेज गेंदबाजों को स्पिनरों की तुलना में अलग स्तर की फिटनेस की आवश्यकता होती है। विकेटकीपरों को और भी ज्यादा फिटनेस की आवश्यकता होती है। बल्लेबाजों को इसकी सबसे कम आवश्यकता होता। इसलिए क्रिकेट फिटनेस पर ध्यान होना चाहिए।”
कपिल देव ने क्या कहा था
अब तक के सबसे फिट भारतीय क्रिकेटर कपिल देव (Kapil Dev) भी पहले इस बारे में बात कर चुके हैं। उन्होंने साल 2018 में कहा था, “सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) फिटनेस ड्रिल के दौरान कभी भी 15 मिनट से अधिक नहीं दौड़े होंगे, लेकिन वह तीन दिनों तक बल्लेबाजी कर सकते थे। अनिल कुंबले (Anil Kumble), वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) और सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) जैसे खिलाड़ियों ने भी शायद ये यो-यो टेस्ट पास नहीं कर पाते, लेकिन वे भारत के कुछ बेहतरीन खिलाड़ी साबित हुए। फुटबॉल के दिग्गज डिएगो माराडोना (Diego Maradona) भी बहुत तेज नहीं दौड़ते थे, लेकिन जब भी उनके पास गेंद होती थी, वह सबसे तेज होते थे। इसी तरह हर क्रिकेटर फिटनेस ड्रिल को अलग-अलग तरीके से लेता है।”
हरभजन सिंह ने यो-यो टेस्ट को बताया था नाटक
टीम इंडिया के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह भी इसपर काफी भड़के थे। उन्होंने कहा था, “यो-यो टेस्ट नया नाटक है, जो मेरे हिसाब से क्रिकेट में जरूरी नहीं है। यह फुटबॉलर्स और हॉकी प्लेयर्स के लिए है क्योंकि इस टेस्ट में आप एक बार आगे दौड़ते हैं और फिर पीछे दौड़ते हैं, जो कि क्रिकेट में कभी नहीं होता। इस टेस्ट की वजह से अंबाती रायुडू (Ambati Rayudu) जैसा फॉर्म में चल रहा बल्लेबाज भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाया।”