विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बीए, बीएससी, और बीकॉम में उपयोग की जाने वाली किताबों के अंग्रेजी संस्करण को अब भारतीय भाषाओं में लाने के लिए शानदार पहल किया है। अब उच्च शिक्षा के लिए भाषा बाधा नहीं बनेगी। स्टूडेंट्स अपनी मातृभाषा में अंडर ग्रैजुएट कोर्स कर सकेंगे। ग्रेजुएट लेवल पर यह पहल सफल होने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए भी किताबों का अनुवाद किया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय की पहल के तहत यूजीसी अंग्रेजी किताबों का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए प्रकाशकों के साथ जुड़ रहा है। किताबें बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, तमिल और तेलुगु सहित अन्य भाषाओं में उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है।
इस प्रक्रिया में पियर्सन इंडिया, नरोसा पब्लिशर्स, वाइवा बुक्स, एस. चंद पब्लिशर्स, विकास पब्लिशिंग, न्यू एज पब्लिशर्स, महावीर पब्लिकेशन्स, यूनिवर्सिटीज प्रेस और टैक्समैन पब्लिकेशन्स भी शामिल हैं। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, ओरिएंट ब्लैकस्वान और एल्सेवियर के प्रतिनिधियों ने भी उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया।
यूजीसी ने हाल ही में विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा हिल के प्रतिनिधियों के साथ भारतीय भाषाओं में अंडरग्रेजुएट अंग्रेजी किताबों को लाने पर विचार-विमर्श किया। यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि आयोग एक नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा ताकि किताबों को डिजिटल प्रारूप में सस्ती कीमतों पर प्रदान किया जा सके।
एक ओर बीए, बीएससी और बीकॉम की लोकप्रिय किताबों की पहचान की जाएगी और उनका भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर भारतीय लेखकों को गैर-तकनीकी विषयों के लिए भारतीय भाषाओं में किताबें लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।