सेब, केला, आम, अनार और अन्ननास ये सब वो फल हैं जो भारत में बड़े आराम से मिल जाते हैं. पर यहां ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो और किवी जैसे कुछ विदेशी फल भी हैं, जो मिल तो जाते हैं, पर उतने आसानी से नहीं. तो जरा सोचिए ऐसे एक बगीचे के बारे में जहां हर तरह के फल मिल जाएं. एक या दो नहीं बल्कि 700 तरह के और वो भी 40 अलग-अलग देशों की वैरायटी के साथ…
खैर ऐसा एक बगीचा कर्नाटक में है. इसके मालिक अनिल बलांजा, पिछले 20 साल से फल उगा रहे हैं और अब उनके बगीचे में करीब 700 अलग-अलग तरह के फल उगते हैं. इससे उनकी कमाई भी जबरदस्त होती है.
दोस्तों से जुटाए विदेशी फलों के बीज
अनिल बलांजा का ये बगीचा दक्षिण कन्नड़ जिले में है. उनके पिता एक समय में कटहल और आम की खेती किया करते थे. बाद में अनिल बलांजा ने सुपाड़ी, नारियल और रबड़ की खेती भी शुरू कर दी. पर करीब 5 साल पहले उनकी जिंदगी बदल गई. उन्होंने अपने बगीचे में दुनिया के अलग-अलग देशों के फल उगाने का प्लान किया.
अपनी फलों की बगिया सजाने के लिए उन्होंने अलग-अलग देशों के फलों के बीज विदेशों में रह रहे अपने दोस्तों और नर्सरी से जुटाए. उनके बाग में मलेशिया से लेकर ब्राजील तक में मिलने वाले फल उगते हैं.
बगीचे में मिलते हैं ये फल
अनिल बलांजा के बाग में एवोकाडो, सैंटोल, केपेल, आम, कटहल,नींबू, अमरूद, जामुन, लोंगान, माप्रांग, जाबोटिकाबा, पुलासन, ड्यूरियन, केंपाडेक और ब्रीबिया जैसे फल मिलते हैं. ये फल मलेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, ब्राजील, थाईलैंड, इंडोनेशिया और चीन जैसे करीब 40 देशों से संबंध रखते हैं.
हर फल की पैदावार के लिए तापमान और मिट्टी की उर्वरता को ध्यान में रखना होता है. अनिल बलांजा ने इसके लिए काफी अध्ययन किया और अब वो हर किसी का साइंटिफिक तरीके से मैनेजमेंट करते हैं.
नर्सरी को पौधे बेचकर करते हैं कमाई
अनिल बलांजा की मुख्य कमाई फलों की अच्छी फसल से होने वाली कमाई है. 30 एकड़ में फैले अपने इस फार्म में वो फलों के पौधों की ग्राफ्टिंग (कलम के माध्यम से पौधा बनाना) करते हैं. उनके ग्राहकों में पश्चिम बंगाल से लेकर हिमाचल प्रदेश तक के किसान हैं. वो उन्हें पौधे बेचकर भी अपनी कमाई करते हैं. इसके अलावा आर्गेनिक खाद बनाना भी उनके बिजनेस मॉडल का हिस्सा है. इस बिजनेस से उन्हें हर महीने लाखों रुपये की कमाई होती है.