पूजा राठी
कोविड-19 महामारी का पूरी दुनिया पर बहुत बुरा असर पड़ा है। कोरोना महामारी ने दुनिया में मौजूद असमानताओं को और भी गहरा कर दिया है। पुरुषों की तुलना में कमज़ोर सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक स्थिति होने की वजह से महिलाएं और बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। दुनियाभर में महिलाओं और बच्चों के बीच स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, भूख, हिंसा और मानसिक अवसाद जैसे मामलों में वृद्धि हुई है। हाल में जारी संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बढ़ती विषमताओं की वजह से महिलाएं और बच्चे ज्यादा कीमत चुका रहे हैं। महामारी के असर की वजह से वैश्विक स्तर पर महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य कहीं अधिक प्रभावित हुआ है।
‘प्रोटेक्ट द प्रॉमिस’ के नाम से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सतत विकास लक्ष्यों के अहम संकेतकों और बाल कल्याण में कटौती की वजह से महिला और बच्चों के विकास में गंभीर गिरावट देखी गई है। साल 2020 में जारी रिपोर्ट की तुलना में भूख, बाल विवाह, खाद्य असुरक्षा, इंटिमेट पार्टनर वायलेंस और किशोर उम्र में अवसाद जैसे सभी मामलों में बढ़त हुई है। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र संगठन, यूनिसेफ, यूएनएफपीए, पार्टनरशिप फॉर मैटरनल, न्यूबोर्न एंड चाइल्ड हेल्थ और अन्य सहयोगी संगठनों द्वारा मिलकर प्रकाशित की गई है। यूएन महासचिव द्वारा महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य की प्रगति का आकलन करने के लिए यह द्विवार्षिक अध्ययन जारी किया गया है।
रिपोर्ट में एक अनुमान के मुताबिक़ साल 2021 तक 25 मिलियन बच्चों को आंशिक रूप से वैक्सीन मिली है या पूरी तरह से उनका टीकाकरण नहीं हुआ है। इस वजह से बच्चों में जानलेवा बीमारी होने का खतरा बढ़ा है। यहीं नहीं, महामारी की वजह से लाखों बच्चों की स्कूली शिक्षा प्रभावित हुई है। 104 देशों के लगभग 80 फीसदी बच्चे ने तालाबंदी की वजह से स्कूल बंद होने से पढ़ाई-लिखाई और सीखने की प्रक्रिया में नुकसान का अनुभव किया। जब से कोविड-19 महामारी शुरू हुई है तब से 10.5 मिलियन बच्चे अपने अभिभावक या देखभाल करनेवाले व्यक्ति को खो चुके हैं।
‘प्रोटेक्ट द प्रॉमिस’ के नाम से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सतत विकास लक्ष्यों के अहम संकेतकों और बाल कल्याण में कटौती की वजह से महिला और बच्चों के विकास में गंभीर गिरावट देखी गई है। 2020 में जारी रिपोर्ट की तुलना में भूख, बाल विवाह, खाद्य असुरक्षा, इंटीमेट पार्टनर वायलेंस और किशोर उम्र में अवसाद एवं बैचेनी जैसे सभी मामलों में वृद्धि हुई है।