पिता के जाने के बाद चाइना ने संभाला काम, आज हो रहा सत्कार
मेरा नाम चाइना पाल है। मैं पश्चिम बंगाल में कोलकाता के कुमारतुली इलाके में रहती हूं और मां दुर्गा-मां काली की मूर्तियां बनाती हूं। मैंने जब यह काम शुरू किया था तब समाज ने बहुत विरोध किया लेकिन आज मेरी हाथ की बनाई मूर्तियां देश-विदेश में बिक रही हैं।
पिता के देहांत के बाद काम संभाला
मेरा बचपन कुमारतुली में ही बीता। हम 6 भाई-बहन हैं और मैं सबसे छोटी हूं। मेरे घरवालों ने मेरा नाम प्यार से चाइना रखा। आज मेरे सबसे अलग नाम और काम ने मुझे पहचान दी है। हालांकि मेरा सफर आसान नहीं था। मैं 10वीं तक पढ़ी हूं।
मेरे पिताजी ने अंतिम सांस 1994 में ली। दोनों भाइयों और तीनों बहनों को इस काम में दिलचस्पी नहीं थी। तो मैंने इस काम को संभाला।
जिस दिन पिताजी गुजरे, उसके ठीक 25 दिन बाद दुर्गा पूजा थी। वो ही मां दुर्गा की मूर्तियां बनाते थे। ऐसे में कई मूर्तियां बन चुकी थीं और उन्हें बेचना था। घर का खर्चा चलाने के लिए मैंने यह काम संभाला।
मुझे खुशी है कि मैं इस काम को करके अपनी मां के बुढ़ापे का सहारा बन रही हूं। मैंने शादी नहीं की। मुझे मेहनत करना पसंद है और मैं पूरी जिंदगी मां दुर्गा की मूर्ति बनाना चाहती हूं।
महिलाओं को मूर्ति बनाने की इजाजत नहीं
जब मैंने पिताजी का काम संभाला तो हर किसी ने मेरा विरोध किया। दरअसल बंगाल में महिलाएं मां दुर्गा की मूर्ति नहीं बनातीं। यह काम केवल पुरुष करते हैं। महिलाएं मूर्ति को पेंट तक नहीं कर सकतीं। उन्हें मां को छूने की मनाही है।
जब अपने स्टूडियो जाती तो स्टाफ मेरी बात नहीं सुनता था। सब पुरुष थे। जब मैं बाजार में मूर्ति बेचने को जाती तो बाकी दुकानदार मेरा विरोध करते। वो कहते थे-यहां मूर्तियां नहीं बेचने देंगे।
देख–देख कर बनानी सीखी मूर्ति
मुझे मूर्ति बनानी नहीं आती थी लेकिन बचपन से पिताजी को यह काम करते देखा था। मैंने देख-देखकर मूर्ति बनानी सीखी। पिताजी के गुजरने के बाद मैंने मूर्ति बनानी शुरू की। दरअसल जब वह थे, तब उन्हें मेरा मूर्ति बनाना पसंद नहीं था। इसलिए उनके रहते कभी ऐसा नहीं किया।
1997 से ही लोगों को मेरी बनाई मां दुर्गा और काली मां की मूर्तियां खूब पसंद आने लगीं।
पहले मेरे पास 1 स्टूडियो था। अब काम बढ़ गया तो 3 स्टूडियो हैं जिसमें 10 से ज्यादा स्टाफ है। अब मुझे भारत के हर कोनों समेत अमेरिका, चीन जैसे देशों से भी ऑर्डर मिलते हैं।
पहचान मिली तो फिल्म स्टार आने लगे स्टूडियो
जब मैंने मूर्ति बनानी शुरू की तब मैं इकलौती महिला थी जो यह काम कर रही थी। ऐसे में लोगों के बीच मैं मशहूर होने लगी।
अब कई नेता और अभिनेता मेरे स्टूडियो में आते हैं। बंगाली सिंगर अभिजित मुखर्जी समेत कई मॉडल और एक्टर मेरे स्टूडियो में शूटिंग कर चुके हैं।
राज्यपाल से मिला अवॉर्ड
मेरे हुनर को जब लोगों ने पहचाना तो मुझे पुरस्कार भी मिलने लगे। 2013 में मुझे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल से अवॉर्ड मिला।
मैं भारत सरकार की तरफ से चीन में हुए एक इंटरनेशनल प्रोग्राम में शामिल हुई। हाल ही में मैंने एक मशहूर जूलरी ब्रैंड के विज्ञापन के लिए शूटिंग की।
अर्धनारीश्वर दुर्गा मूर्ति बनाई तो हुआ विरोध
2015 में मैंने ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के कहने पर अर्धनारीश्वर दुर्गा मूर्ति बनाई। यह पहली बार अपनी तरह की अलग मूर्ति थी। ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लोगों ने इसे खूब सहारा लेकिन कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया।
लेकिन मेरा मानना है कि भगवान सबके हैं और हर किसी को मां दुर्गा की पूजा करने का अधिकार है। तो जब उन्होंने मुझसे निवेदन किया तो मैंने मना नहीं किया।