आज के समय में हम काम और ज़िम्मेदारियों में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि निजी ज़िंदगी कहीं खो-सी गई है। अपना काम ज़िम्मेदारी के साथ करना अच्छी बात है, परंतु संतुष्टि का ध्यान रखना भी ज़रूरी है।
काम में संतुष्टि होना हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे हमें यह पता चलता है कि हम अपने काम को लेकर जो रुचि ले रहे हैं उसका हमारे कॅरियर और जीवन पर कितना फ़र्क़ पड़ रहा है। यह हमें सफलता के नज़दीक ले जाने में सहायक भी सिद्ध होता है। हम सोचते हैं कि काम में पूरा मन और जी जान लगा देना ही सफलता है, परंतु हम यह ध्यान नहीं देते कि हम जो भी कार्य कर रहे हैं उसमें हमारी रुचि कितनी है और उस काम को करने के बाद संतुष्टि मिल भी रही है या नहीं।
काम में संतुष्टि क्यों ज़रूरी?
ज़रा सोचिए, यदि काम के बाद हमें संतुष्टि न मिले तब वह हमारे लिए और हमारी सफलता के लिए कितनी मायने रखती है? संतुष्टि से हमारा मानसिक स्वास्थ्य और बेहतर होता है। मन में चिंता, भय, आशंका से मुक्ति मिलती है और जब मन संतुष्ट होता है तो हम शारीरिक तौर पर भी स्वस्थ रहने लगते हैं। इस समय समाज में प्रतिस्पर्धा की धारणा और तेज़ हो चुकी है। ऐसे में इस दौड़ से हटकर अपने काम में संतुष्ट होना बहुत आवश्यक है और यही सफलता का मूल मंत्र भी होना चाहिए।
इन तरीक़ों से संतुष्टि पा सकते हैं
काम का निर्धारण

आप जो भी काम कर रहे हैं उसका निर्धारण अपनी रुचि को ध्यान में रखकर करें न कि किसी दबाव में आकर। काम का निर्धारण ही आपके कार्य के प्रति संतुष्टि का पहला क़दम होता है। यदि आप अपने काम में रुचि सिर्फ़ इसलिए ले रहे हैं कि आपको ज़्यादा पैसा कमाना है, उस क्षेत्र में ज़्यादा अवसर हैं या फिर घर का वह कार्य जिसे करना ज़िम्मेदारी समझते हैं, तो आपको वह कार्य शुरुआत में भले ही ठीक लगे पर कुछ समय बाद उससे ऊब होने लगेगी। इसके बाद न ही अपने काम में संतुष्टि मिलेगी और न ही जीवन को लेकर संतुष्ट हो पाएंगे।
ख़ुद को समय दें
ज़िंदगी में सबसे बड़ी संतुष्टि तब होती है जब आप ख़ुद के लिए समय निकाल पाते हैं। दिनभर काम करने के बाद जब आराम से एक कप चाय पीते हैं तो दिनभर की सारी थकान और तनाव दोनों ही दूर हो जाते हैं। इससे आप काम करने की क्षमता, नई ऊर्जा महसूस करेंगे और काम में भी संतुष्टि मिलेगी।
दबाव न बनाएं
कुछ लोग बिना रुके लगातार काम करते जाते हैं। इससे काम ठीक से पूरा नहीं हो पाता है और मानसिक दबाव भी बढ़ता जाता है। काम घर का हो या दफ़्तर का, बीच-बीच में आराम करके पूरा करें। वहीं घर के कामों से महिलाएं भी ऊब जाती हैं, लेकिन ज़िम्मेदारी है इसलिए नज़रअंदाज़ करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। परंतु बदलाव कर सकती हैं, जैसे यदि आज खाना बनाने का मन नहीं है तो बाहर से मंगवा सकती हैं। घर के कामों से एक दिन का विराम लेने से भी संतुष्टि प्राप्त होगी।