Lok Vikas India

  • Home
  • About Us
  • Contact us
  • Privacy Policy
  • Home
  • About Us
  • Contact us
  • Privacy Policy
  • Home
  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा
  • पर्यावरण
  • महिलाएं एवं बच्चे
  • कृषि
  • रोजगार
  • सूचना संचार
  • सामाजिक मुद्दे
  • खेलकूद
  • Home
  • स्वास्थ्य
  • शिक्षा
  • पर्यावरण
  • महिलाएं एवं बच्चे
  • कृषि
  • रोजगार
  • सूचना संचार
  • सामाजिक मुद्दे
  • खेलकूद
Home महिलाएं एवं बच्चे

त्योहार के मौसम में महिलाओं पर बढ़ता काम का बोझ

lokvikasindia by lokvikasindia
September 23, 2022
in महिलाएं एवं बच्चे
0
त्योहार के मौसम में महिलाओं पर बढ़ता काम का बोझ

भारत में त्योहार का मौसम शुरू हो चुका है। नवरात्रि, दशहरा, दिवाली और छठ जैसे कई त्योहार एक के बाद एक इन दो से तीन महीनों में मनाए जाएंगे। वैसे अपने देश में लगभग हर महीने कोई न कोई पर्व-त्योहार मनाया ही जाता है। हर त्योहार की अपनी कहानी है और उसे मनाने का ख़ास तरीक़ा है। लेकिन इस त्योहार के मौसम में महिलाओं की भूमिका हर जगह ख़ास नहीं बल्कि एक समान ही दिखाई पड़ती है।

अब होली की गुझिया हो या दिवाली की पूजा। हर पर्व को मनाने के लिए उसकी पूरी तैयारी की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ महिलाओं के कंधों पर होती है। समाज के बनाए जेंडर के ढांचे के तहत महिलाएं हर रोज़ घर-परिवार के पूरे काम का बोझ उठाती हैं या यह कहूं कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर या कई बार तैयार किया जाता है। इसी बीच ये त्योहार महिलाओं के लिए हर बार अतिरिक्त काम ही लेकर आते हैं। कई बार जब इन त्योहारों में महिलाओं की भूमिका का आकंलन करती हूं तो इसे पितृसत्ता की सोची-समझी साज़िश ही पाती हूं। इन त्योहारों में पूजा, व्रत, त्योहार की तैयारी और पकवान बनाने की पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ महिलाओं के हिस्से आती है। यह ज़िम्मेदारी महिलाओं के रोज़मर्रा के कामों में अलग से होती है, जो उनके ऊपर काम के बोझ को ज़ाहिर है दोगुना कर देती है। त्योहार के मौसम में महिलाओं पर दोहरे कामों का भार उन्हें औरों की तरह सुकून और आराम देने की बजाय थका देता है।

READ ALSO

MP: महिलाओं को दी गई ग्राम पंचायतों की बड़ी जिम्मेदारी, अब बदलेगी गांवों की तस्वीर

MP News: दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी छोटे से गांव की ये महिला किसान

अब होली की गुझिया हो या दिवाली की पूजा। हर पर्व को मनाने के लिए उसकी पूरी तैयारी की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ महिलाओं के कंधों पर होती है। समाज के बनाए जेंडर के ढांचे के तहत महिलाएं हर रोज़ घर-परिवार के पूरे काम का बोझ उठाती हैं।

देईपुर गांव की सितारा देवी त्योहार में महिलाओं पर बढ़ते काम के बोझ के बारे में बताती हैं कि गांव में आज भी किसी भी त्योहार में महिलाएं जहां रोज़ चार बजे सुबह उठती हैं, वहीं त्योहार के अतिरिक्त काम की वजह से रात तीन बजे से उठ ज़ाया करती हैं। आंख खुलते ही वे घर के काम के जुट जाती हैं और उसके बाद खेत का काम करने निकल जाती हैं। फिर सुबह से जानवरों को खाना पानी देना दूध दुहना। फिर पूजा-पाठ करना और फिर खाना बनाना। इसके बाद आधी रात तक घर का सारा काम समेटना। त्योहार के मौसम में रात में महिलाएं चार से पांच घंटा ही सो पाती हैं।

गांवों में महिलाएं आज भी खेत और घर के काम के साथ-साथ पालतू जानवरों की सेवा करती हैं। ऐसे में व्रत में रहते हुए भी उन्हें ये सारे काम करने पड़ते हैं। इतना ही नहीं, घर के बाक़ी सदस्यों के लिए त्योहार के अनुसार पकवान बनाने और घर के सजावट की ज़िम्मेदारी भी महिलाओं के ऊपर होती है। इन कठिन व्रतों के बाद गांव में कई बार महिलाएं बीमार भी पड़ जाती हैं जिसकी वजह है महिलाओं पर दोहरा काम का भार।

त्योहारों में पूजा, व्रत, त्योहार की तैयारी और पकवान बनाने की पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ महिलाओं के हिस्से आती है।

पितृसत्ता की व्यवस्था में महिलाओं को धर्म और संस्कृति के मज़बूत वाहक के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसलिए बक़ायदा सारे व्रत-पूजन का ज़िम्मा सिर्फ़ महिलाओं को सौंपा गया है। वे न केवल अपनी सलामती बल्कि अपने पति, पुत्र और पूरे परिवार की सलामती के लिए ज़िम्मेदार मानी जाती है। ऐसे में जब कुछ महिलाएं इन दक़ियानूसी रीति-रिवाजों का विरोध करती है या फिर उनके पुरुष साथी पर्व-त्योहार में काम में बराबर की भागीदारी निभाते हैं तो ऐसे में अक्सर महिलाओं को धर्म का डर दिखाया जाता है।

कई बार पढ़ी-लिखी सशक्त महिलाएं इस डर के आगे बेख़ौफ़ अपने त्योहार को अपने अनुसार मनाती हैं। लेकिन अधिकतर महिलाएं इस डर के आगे घुटने टेकने को मजबूर होती हैं। कई बार किसी व्रत-पूजन में हुई चूक के बाद अगर घर में कोई छोटी-बड़ी घटना होती है तो इसके लिए सीधे से महिलाओं को ज़िम्मेदार भी बताया जाता है, जो महिलाओं में धर्म के डर मज़बूत करने का करता है।

पितृसत्ता की व्यवस्था में धर्म की अपनी राजनीति है, जो महिलाओं के ऊपर अपने वर्चस्व को बनाए रखने में सदियों से मज़बूत होकर काम कर रही है। लेकिन इस वर्चस्व के चलते न केवल महिलाओं की सामाजिक और मानसिक बल्कि उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है। काम के बढ़ते बोझ उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि त्योहार में महिलाओं पर बढ़ने वाले अतिरिक्त बोझ को कम करने की दिशा में काम किया जाए, जिससे महिलाओं के लिए भी त्योहार ख़ुशियाँ और सुकून लेकर आए न कि काम के अधिक दबाव का डर।     

Related Posts

MP: महिलाओं को दी गई ग्राम पंचायतों की बड़ी जिम्मेदारी, अब बदलेगी गांवों की तस्वीर
महिलाएं एवं बच्चे

MP: महिलाओं को दी गई ग्राम पंचायतों की बड़ी जिम्मेदारी, अब बदलेगी गांवों की तस्वीर

September 18, 2023
MP News: दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी छोटे से गांव की ये महिला किसान
महिलाएं एवं बच्चे

MP News: दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी छोटे से गांव की ये महिला किसान

September 18, 2023
मध्यप्रदेश में आँगनवाड़ी में पोषण-मटके की ‘टिम्बक टू’
महिलाएं एवं बच्चे

मध्यप्रदेश में आँगनवाड़ी में पोषण-मटके की ‘टिम्बक टू’

September 16, 2023
Ladli Bahna Yojana: मिल गई बड़ी खुशखबरी, अब इनके खाते में भी हर महीने पैसे भेजेगी सरकार; जानें कैसे
महिलाएं एवं बच्चे

लाड़ली बहनों को मिलेगा 450 रुपए में गैस सिलेंडर

September 15, 2023
लाड़ली बहना योजना से महिलाओं के जीवन में आया बदलाव : मुख्यमंत्री श्री चौहान
महिलाएं एवं बच्चे

लाड़ली बहना योजना से महिलाओं के जीवन में आया बदलाव : मुख्यमंत्री श्री चौहान

September 15, 2023
राज्य ग्रामीण आजाविका मिशन से महिलाएँ पारिवारिक और ग्रामीण स्वावलंबन का जरिया बन रही हैं
महिलाएं एवं बच्चे

राज्य ग्रामीण आजाविका मिशन से महिलाएँ पारिवारिक और ग्रामीण स्वावलंबन का जरिया बन रही हैं

September 14, 2023
Next Post
मानसिक स्वास्थ्य पर हर साल बढ़ते आंकड़े पर सुविधाएं आज भी नदारद

मानसिक स्वास्थ्य पर हर साल बढ़ते आंकड़े पर सुविधाएं आज भी नदारद

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

December 2023
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031
« Oct    
Ias coaching and UPSC coaching

Our Visitor

0 1 1 0 9 3

Recent News

नवरात्रों एवं रामायण के पात्रों का बस्ती के बच्चों को  ऐतिहासिक महत्व बताया

नवरात्रों एवं रामायण के पात्रों का बस्ती के बच्चों को  ऐतिहासिक महत्व बताया

October 5, 2023
शिविर में बताया आत्मरक्षा का महत्व

शिविर में बताया आत्मरक्षा का महत्व

October 5, 2023
मध्यप्रदेश के इस गांव में पानी को तरसते लोग, जान जोखिम में डालकर कुएं में उतर रहीं महिलाएं

मध्यप्रदेश के इस गांव में पानी को तरसते लोग, जान जोखिम में डालकर कुएं में उतर रहीं महिलाएं

October 1, 2023

Most Viewed

नवरात्रों एवं रामायण के पात्रों का बस्ती के बच्चों को  ऐतिहासिक महत्व बताया

नवरात्रों एवं रामायण के पात्रों का बस्ती के बच्चों को  ऐतिहासिक महत्व बताया

October 5, 2023
शिविर में बताया आत्मरक्षा का महत्व

शिविर में बताया आत्मरक्षा का महत्व

October 5, 2023
मध्यप्रदेश के इस गांव में पानी को तरसते लोग, जान जोखिम में डालकर कुएं में उतर रहीं महिलाएं

मध्यप्रदेश के इस गांव में पानी को तरसते लोग, जान जोखिम में डालकर कुएं में उतर रहीं महिलाएं

October 1, 2023
  • Home
  • About Us
  • Contact us
  • Privacy Policy

Copyright © 2022 lokvikasindia. All rights reserved. | Designed by Website development company - Traffic Tail

No Result
View All Result
  • Homepages
    • मुखाये समाचार
    • और खबरे
  • uncategorized

Copyright © 2022 lokvikasindia. All rights reserved. | Designed by Website development company - Traffic Tail