ऑर्गेनिक परिधान
दिनोंदिन विदेशों में इको फ्रेंडली कपड़ों का चलन बढ़ रहा है। वैसे तो हमारे यहां भी इको फ्रेंडली कपड़ों की सुरुआत हो चुकी है लेकिन ये बात और है कि अभी तक इसके बारे में लोगों को कम ही जानकारी है। क्योंकि इसकी जानकारी अभी महिलाओं के बड़े वर्ग तक नहीं पहुंची है लेकिन जब वे ऑर्गेनिक कपड़े के बारे में जान जाएंगी तो समझ आएगा कि कपड़ों में भी इको फ्रेंडली कितना सही और उपयोगी है।
पर्यावरण में महिलाएं कितना अधिक मददगार हो सकती हैं इसका सबसे अच्छा और सही उपाय है यदि वे अपने परिधान ऑर्गेनिक कॉटन से बने कपड़ों के पहनें! ऑर्गेनिक कपड़े भी हो सकते हैं सुनकर थोड़ा अजीब सा लग सकता है। क्योंकि अभी तक ऑर्गेनिक सब्जियां, ऑर्गेनिक फूड, ऑर्गेनिक ड्रिंक्स तो खूब सुनने में आते हैं लेकिन क्या अब कपड़े भी ऑर्गेनिक आने लगे हैं । दिनोंदिन विदेशों में इको फ्रेंडली कपड़ों का चलन बढ़ रहा है। वैसे तो हमारे यहां भी इको फ्रेंडली कपड़ों की सुरुआत हो चुकी है लेकिन ये बात और है कि अभी तक इसके बारे में लोगों को कम ही जानकारी है। क्योंकि इसकी जानकारी अभी महिलाओं के बड़े वर्ग तक नहीं पहुंची है लेकिन जब वे ऑर्गेनिक कपड़े के बारे में जान जाएंगी तो समझ आएगा कि कपड़ों में भी इको फ्रेंडली कितना सही और उपयोगी है।
हम बाजार जाकर कपड़ों को छू कर उसकी क्वालिटी को परखते हैं। इससे कपड़े का फैब्रिक, उसके धागों की बुनाई, ड्यूरेबिलिटी, डिजाइन आदि का अंदाजा लग तो जाता है लेकिन इससे ये पता नहीं चल पाता है कि कपड़ा कितना शुद्ध है, कितना नॉन एलर्जिक है और ये प्रकृति के साथ-साथ आपकी त्वचा के लिए कितना फ्रेंडली है।
कॉटन भी हो गया नुकसानदेह —आम तौर पर लोगों की पसंद कॉटन से बने कपड़े होते हैं क्योंकि वे त्वचा के लिए काफी आरामदेह होते हैं। लेकिन एक शोध में पताचला है कि बाजार में मिलने वाले अधिकतर कपड़े जिस कॉटन से तैयार किये जाते हैं उसकी खेती के दौरान टॉक्सिक, पेस्टिसाइड्स और सिंथेटिक फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में होता है। इस्तेमाल किये गए इन पेस्टिसाइड्स और टॉक्सिक का सीधा असर इनसे बने कपड़ों पर भी पड़ता है। और ज्यादा खतरनाक बात यह है कि रंग-बिरंगे कपड़ों पर इस्तेमाल किया जाने वाला सिंथेटिक डाइ हमारी त्वचा पर काफी विपरीत असर डाल सकता है। कॉटन को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण नॉन फूड एग्रीकल्चर कमोडिटी के तौर पर जाना जाता है। कॉटन की फसल पर बड़ी तादाद में कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। तकरीबन एक किलो कीटनाशक प्रति हेक्टेयर कॉटन के खेत पर स्प्रे किया जाता है। जिसकी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे खतरनाक प्रोडक्ट की श्रेणी में रखा है। कॉटन की खेती में एल्डिकार्ब नाम की जिस कीटनाशक दवा का इस्तेमाल किया जाता है उसके जहर के असर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगर इसकी एक बूंद भी किसी की त्वचा पर पड़ जाए तो इससे व्यक्ति की मौत हो सकती है।
ऑर्गेनिक कॉटन क्यों हैं सुरक्षित –
ऑर्गेनिक कॉटन की खेती में कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके लिए किसान कॉटन के खेतों को ढंक कर रखते हैं। ये पूरी तरह पर्यावरण के हितैषी होते हैं। ऑर्गेनिक कॉटन के बीज में किसी तरह के रसायननिक तत्वों का इस्तेमाल नहीं होता है। इसके अलावा खतरनाक कीटों को रोकने के लिए इको फ्रें ंडली कीटों की मदद ली जाती है। इन कीटों का खात्मा करने के लिए किसी भी तरह की दवाई या स्प्रे आदि की जरूरत नहीं होती है।
ऑर्गेनिक कॉटन के फायदे –
सबसे पहली बात तो बच्चों की कोमल त्वचा के लिए ये सबसे बेहतर विकल्प हो सकते हैं। बच्चों की त्वचा पर खतरनाक कॉटन कई बार अपना धीमा असर छोड़ते हैं। इसमें कॉटन की खेती के दौरान इस्तेमाल किये गये पेस्टिसाइड्स से लेकर केमिकल डाइ शामिल होते हैं। लेकिन ऑर्गेनिक कपड़ों से कम से कम इस बात का संतोष किया जा सकता है कि वे किसी तरह की एलर्जी पैदा नहीं करेंगे।
धीरे धीरे ऑर्गेनिक फैब्रिक रेंज बढ़ रही हैं। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए नए फैशन और लेटेस्ट ट्रेंड के आउटफिट कई जगह मिलना शुरू हो गए हैं। इतना ही नहीं सोफा कवर, बेड कवर, एपरन, पर्दे, पिलो कवर, सभी के लिए ऑर्गेनिक फैब्रिक अब उपलब्ध हैं।
ऑर्गेनिक कपड़े
– इको फ्रेंडली फसल किसानों की सेहत के लिए हानिकारक नहीं
– कॉटन की खेती में केमिकल का इस्तेमाल नहीं
– डाई में भी केमिकल इस्तेमाल नहीं
– त्वचा को नुकसान नहीं
– पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं