शिक्षा से दूर बच्चों को ढूंढ़कर और शिक्षा देकर मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। छह से लेकर 14 वर्ष की उम्र वाले ऐसे बच्चों को लेकर स्कूल शिक्षक घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे। दरअसल, स्कूलों से दूर बच्चों के लिए विशेष ट्रेनिंग सेंटर को लेकर शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा दिल्ली ने परिपत्र जारी किया है। इसमें सेंटर को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। परिपत्र के अनुसार सर्वेक्षण को लेकर स्कूल प्रमुख के नेतृत्व में टीम का गठन होगा। स्कूल के पास के इलाके में जाकर शिक्षकर सर्वेक्षण करेंगे। कभी न स्कूल जाने वाले और बीच में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। सेंटर में कम से कम दस छात्रों को दाखिला मिलेगा।
तीसरे चरण में खुलेंगे नए सेंटर
तीसरे चरण में नए सेंटर भी खोले जाएंगे। इसको लेकर भी सिफारिश की गई है। इसके लिए शिक्षक भी रखे जाएंगे। स्कूल प्रमुखों की निगरानी में सेंटर का संचालन होगा। सेंटर को लेकर ऑनलाइन मॉड्यूल भी तैयार किया गया है।
स्कूलों में दस फीसदी घटा नामांकन
कोरोना से पहले और बाद की स्थिति में स्कूलों में छात्रों के नामांकन की स्थिति में बदलाव देखने को मिला है। वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में दस फीसदी नामांकन कम हो गए। यह जानकारी हाल ही में दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चिल्ड्रन फर्स्ट : जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स के दूसरे संस्करण में प्रकाशित शोध में सामने आई थी।
वर्ष 2019 में छह से लेकर 18 वर्ष के 6668 बच्चों का नामांकन हो रखा था। जबकि 2021 में यह संख्या 5327 पर पहुंच गई। वर्ष 2019 में छह से लेकर दस वर्ष की उम्र वाले 94.25 फीसदी बच्चे नामांकित थे। 2021 में इनका स्तर घटकर 87.61 फीसदी रह गया। 11 से 14 वर्ष के बच्चों के नामांकन की स्थिति 2019 में 92.01 फीसदी थी जो वर्ष 2021 में 91.16 फीसदी रही। वहीं, 15 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों में वर्ष 2019 में 73.43 फीसदी नामांकन था जो 2021 में घटकर 70.69 फीसदी रह गया। इस अध्ययन में एनसीआर के 5353 परिवारों को शामिल किया गया था, जिसमें वर्ष 2019 से पहले और कोरोना के बाद की स्थिति को लेकर जानकारी जुटाई गई है। स्कूल छोड़ने वालों में शहरी से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे थे।