15 अगस्त की सुबह स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था, उसी दिन की शाम को साल बिलकिस बानो का गैंगरेप करने वाले, उनके परिवार के सदस्य और तीन साल की बच्ची की हत्या करने वाले ग्यारह दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा गठित कमेटी के दिशा-निर्देश में गोधरा जेल से रिमिशन पॉलिसी के तहत रिहा कर दिया गया। वेबसाइट मोजो स्टोरी के एक रिपोर्टर ने इसी सिलसिले में गुजरात से एमएलए सीके राउलजी जो इस कमिटी में शामिल थे, उनका इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में वह कहते हैं कि सरकार ने कमिटी गठित की और उन्हें शामिल किया गया तब यह पता नहीं था कि बिलकिस बानो कौन हैं, उसका केस क्या है। एमएलए दोषियों के कॉन्टेक्स्ट में कहते हैं कि क्राइम किया है कि नहीं किया है हमें पता नहीं है। ब्राह्मण लोग थे वैसे भी ब्राह्मण का जो कुछ भी है उसका संस्कार अच्छा है। जेल में, जेल से पहले उनका बिहेव अच्छा था, उन्हें फंसाया गया होगा।
इस इंटरव्यू में एमएलए को सुनते हुए बहुत से सवाल ज़हन में आते हैं। जब एमएलए कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था बिलकिस बानो कौन हैं, उसका केस क्या है तब ये सवाल उठता है कि कमिटी में ऐसे लोगों को शामिल ही क्यों किया गया जिन्हें बिलकिस बानो के केस के बारे में, उसकी ज्यूडिशियल प्रोसेसिंग के बारे में पता ही नहीं था? क्या कमिटी में दोषियों की रिहाई का निर्णय सिर्फ़ इस आधार पर ले लिया गया कि वे ब्राह्मण हैं? बिलकिस बानो का केस ऐसा पहला केस नहीं है जब दोषियों की जाति, धर्म को सर्वोपरि मानते हुए उनके गुनाहों को कमतर आंका गया है और अपराध मुक्त किया गया है।
22 सितंबर 1992 को तथाकथित उच्च जाति (गुज्जर जाति) के पांच व्यक्तियों ने तथाकथित निचली जाति की महिला भंवरी देवी का गैंगरेप किया था। भंवरी देवी राज्य सरकार के विमेंस डेवलपमेंट प्रोग्राम में 1985 से सक्रिय थीं। अपने काम के तहत ही उन्होंने एक बच्ची (जिसका पिता दोषियों में शामिल था) का बाल विवाह रोका था। इसी का बदला लेते हुए पांचों ने भंवरी देवी का बलात्कार किया। भंवरी देवी ने न्यायिक लड़ाई लड़ी, एक साल बाद दोषियों को पकड़ा गया लेकिन 1995 में रेप के चार्ज से उन्हें मुक्त कर दिया गया। न्यायिक प्रक्रिया में कोर्ट द्वारा जातिवादी टिप्पणी की गई।
- ग्राम प्रधान बलात्कार नहीं कर सकता।
- विभिन्न जातियों के पुरुष सामूहिक बलात्कार में भाग नहीं ले सकते
- 60-70 साल के बुजुर्ग रेप नहीं कर सकते।
- एक आदमी किसी रिश्तेदार के सामने बलात्कार नहीं कर सकता। यह दो पुरुषों, एक चाचा और भतीजे के संदर्भ में था।
- उच्च जाति का कोई सदस्य निम्न जाति की महिला से पवित्रता के कारण बलात्कार नहीं कर सकता।
- भंवरी देवी का पति अपनी पत्नी को गैंगरेप होते हुए चुपचाप नहीं देख सकता था।
हाल ही में 2020 में 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में अनुसूचित जाति की 19 वर्षीय युवती का चार तथाकथित उच्च जाति (ठाकुर जाति) के युवकों ने गैंगरेप किया था। घटना के कुछ ही दिनों में दिल्ली के अस्पताल में युवती की मौत हो गई थी। न्यायिक प्रक्रिया शुरू होते ही युवती के शव को पुलिस द्वारा रात में बिना परिवार के सहमति के जला दिया गया था और सवर्ण समाज के लोगों ने दोषी युवकों के पक्ष में महापंचायत की थी।
ऐसे मामलों में हमें अक्सर बड़ी संख्या में लोग यह कहते मिल जाते हैं रेप में जाति, धर्म, वर्ग आदि का कोई रोल नहीं होता। वे इन उदाहरणों से समझ सकते हैं कि तथाकथित उच्च जाति का पुरुष अल्पसंख्यक समुदाय की महिला का रेप सिर्फ़ इसीलिए नहीं कर रहा है कि वह एक महिला है बल्कि महिला के समुदाय को नीचा दिखाने के लिए, उन्हें समाज में बार- बार उनका स्थान याद दिलाने के लिए करता है। बिलकिस बानो केस, हाथरस गैंगरेप, भंवरी देवी केस ऐसे लाखों मामलों में से सामने आए बेहद कुछ उदाहरण हैं। एनसीआरबी के आंकड़े इससे भी भयानक हैं। 2019 एनसीआरबी डाटा के अनुसार तकरीबन हर दिन औसतन 10 दलित महिलाओं का रेप इस देश में होता है। रॉयटर्स में छपे एक लेख के अनुसार नब्बे प्रतिशत केस में गैंगरेप, मर्डर में कम से कम एक अपराधी सवर्ण जाति से होता है।
इक्वॉलिटी नाउ नामक संस्था की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट में एक महिला शबनम (बदला हुआ नाम) हरियाणा से आती हैं, जब वह नाबालिग थीं तब 2013 में उनका रेप हुआ। इतने सालों से उनका केस ट्रायल पर है, इस दौरान उन्हें मार देने के काफी प्रयास अपराधियों की तरफ़ से हुए। हाथरस गैंगरेप को याद करते हुए वह कहती हैं कि ये ठीक उनके साथ हुआ रेप जैसा है, फर्क इतना है कि वह जिंदा हैं। एक और युवती ममता (बदला हुआ नाम) के साथ सवर्ण पुरुष ने साल 2012 में रेप किया और जब वह नाबालिग थीं। खाप पंचायत ने उनका विवाह बलात्कारी के साथ कर देने का फैसला सुनाया, जिसके खिलाफ उनके पिता तक कुछ न बोल सके। शादी के महीनों बाद तक ममता का बलात्कारी उन्हें एक कमरे में बंद कर उनका रेप करता रहा। इतना ही नहीं वह अपने साथ अन्य पुरुषों और रिश्तेदारों को भी लेकर आता जो ममता का बलात्कार करते। किसी तरह ममता ने वहां से निकलकर स्वाभिमान सोसाइटी की मदद ली।