संगीत हर आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन में लोगों का ध्यान खींचने और एकजुट करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। ठीक इसी तरह नारीवादी आंदोलनों में महिलाओं और अन्य वर्ग के लोगों को उससे जोड़ने के लिए संगीत ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
“हम देखेंगें, लाजिम हैं हम भी देखेंगे,” “हल्ला बोल, हल्ला बोल” जैसे गीतों के बोल आपने आंदोलन, धरना-प्रदर्शन और रैलियों में जरूर सुने होंगे। हवा में लहराती बंद मुठ्ठियां, जोश में लगते नारे और रूढ़िवाद, असमानता और अन्याय को चुनौती देनेवाले गीत गाते लोग आंदोलनों की जान होते हैं यानी संगीत हर आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन में लोगों का ध्यान खींचने और एकजुट करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। ठीक इसी तरह नारीवादी आंदोलनों में महिलाओं और अन्य वर्ग के लोगों को उससे जोड़ने के लिए संगीत ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जितना पुराना नारीवादी संघर्ष का इतिहास है उतना ही पुराना इन आंदोलनों में शामिल नारीवादी संगीत का साथ है। फेमिनिज़म मूवमेंट को चार अलग-अलग भागों (वेव्स) में बांटा गया है। ठीक इसी तरह नारीवादी आंदोलनों के हर समय के संघंर्षों को मजबूत आवाज़ बनाने के लिए कई थीम के तहत गीत लिखे गए। इन गीतों के शब्द ने संघंर्ष को लयबद्ध तरीके से सबके सामने रखा और लोगों को बड़ी संख्या में नारीवादी संघर्ष से जोड़ा। ये गाने पूरी तरह महिलाओं को केंद्र में रखकर लिखे गए। इनमें उनके विचारों और मांगों को सुर-ताल में पिरोया गया।
संगीत हर आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन में लोगों का ध्यान खींचने और एकजुट करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। ठीक इसी तरह नारीवादी आंदोलनों में महिलाओं और अन्य वर्ग के लोगों को उससे जोड़ने के लिए संगीत ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पहली लहरः महिलाओं के वोट के अधिकार से जुड़े गीत
सबसे पहले नारीवादी आंदोलन के प्रथम चरण में महिलाएं वोट के अधिकार के लिए सड़कों पर एकत्रित हुई थीं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समान नागरिक अधिकारों की मांग करने के लिए अमेरिका में मताधिकार आंदोलन की शुरुआत हुई। इस आंदोलन ने अमेरिका के संविधान में 19वें संशोधन, वोट देने का अधिकार दिया। साल 1909 में हेनरी डब्ल्यू रोबी के द्वारा ‘द सफरेज सॉन्ग्स’ के नाम से एक किताब प्रकाशित की गई। ‘सॉन्ग्स ऑफ द सफरगेटर’ गीत एलिजाबेथ नाइट ने गाया। कांग्रेस लाइब्रेरी में ‘वीमंस सफरेज इन शीट’ म्यूजिक’ का एक डिजिटल क्लेशन है जिसमें आंदोलन से जुड़े गीतों का ब्यौरा है। ये गाने उस दौर में रैलियों, परेड, पार्लर और जेलों तक में गाए जाते थे।