पौराणिक कथा की अपनी एक दुनिया है जिसकी मदद से आप अपने बच्चे को नैतिक शिक्षा दे सकते हैं।
बचपन किसी भी इंसान के जीवन की नींव होती है। बच्चे छोटी उम्र में जो कुछ भी सीखते हैं उसे ताउम्र याद रखते हैं। बच्चे अपने आसपास के माहौल और माता-पिता से काफी कुछ सीखते हैं। हमें बच्चों को वही सीख देनी चाहिए जिससे उनकी जिंदगी बेहतर बनें। अगर आप भी अपने बच्चे को नैतिक ज्ञान देना चाहती हैं तो आप उनको भारतीय पौराणिक कहानी सुनाए या उन्हें पढ़ने के लिए दें। ये कहानियां बच्चों का सही मार्गदर्शन करेंगी। इस लेख में हम उन कहानियों के बारे में बातएंगे, जिसे आपको अपने बच्चे को जरूर पढ़ानी चाहिए।
एकलव्य की कहानी
बच्चों को ज्ञान देने के लिए महाभारत और रामायण काव्य की मदद ले सकते हैं। एकलव्य महाभारत का एक पात्र है जो जंगल में अपने कबीले के साथ रहता था। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनना उसके जीवन का लक्ष्य था। वह गुरु द्रोणाचार्य के पास शिक्षा लेने गए लेकिन उन्होंने उसे मना कर दिया है। इसके बाद एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाकर धनुर्विद्या में महारत हासिल की। जब गुरु द्रोणाचार्य को इस बात का पता चला था, तो उन्होंने गुरु दक्षिणा में एकलव्य से उनका अंगूठा मांगा लिया था। एकलव्य ने दक्षिणा में अपना अंगूठा काटकर गुरु को दे दिया था। इसके बाद उन्होंने उंगलियों से तीरंदाजी का अभ्यास किया।
टिप्सः इस कहानी से ये सीख मिलती है को अगर हम अपना लक्ष्य तय कर लें तो कोई भी बाधा उसको पूरा होने से रोक नहीं सकती हैं। इसके अलावा एक सीख और मिलती है कि हमें हमेशा अपने गुरु, टीचर्स का सम्मान करना चाहिए।
श्रवण कुमार की कहानी
श्रवण कुमार रामायण का पात्र है। जब भी अच्छे बेटे की बात आती है तो श्रवण कुमार का ज्रिक जरूर होता है। श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें टोकरियों में बैठाकर तीर्थ यात्रा कराई। तीर्थ यात्रा के दौरान राजा दशरथ से अनजाने में श्रवण कुमार की मौत हो जाती है, जिसके बाद श्रवण कुमार के माता-पिता उनको श्राप देते हैं, कि आप भी बेटे का वियोग में तड़प-तड़प कर अपने प्राण त्याग देंगे। इस श्राप की वजह से राजा दशरथ के बड़े बेटे राम को 14 साल का वनवास काटना पड़ा था। राम के वियोग में तड़पते हुए राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए थे।