वर्तमान में मध्यप्रदेश के सभी 313 विकासखण्डों में 278 ग्रामीण, 102 आदिवासी परियोजनायें संचालित हैं। इसके अतिरिक्त 73 शहरी बाल विकास परियोजनाओं सहित प्रदेश में कुल 453 समेकित बाल विकास परियोजनाएं संचालित हैं। 453 बाल विकास परियोजनाओं में कुल 84,465 आंगनबाड़ी केन्द्र एवं 12,670 उप आंगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से लगभग 89.86 लाख हितग्राहियों को आंगनवाड़ी सेवाओं (आइ.सी.डी.एस.) से लाभान्वित किया जा रहा है। आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से निम्नानुसार सेवाएं समन्वित रूप से दी जाती है:-
1.पूरक पोषण आहार –
6 वर्ष तक आयु के बच्चे, गर्भवती व धात्री (शिशुवती) माताओं तथा किशोरी बालिकाओं(11 से 14 आयुवर्ग की शाला त्यागी) की पहचान हेतु समुदाय के सभी परिवारों का सर्वेक्षण किया जाता है तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधान अनुरूप वर्ष में तीन सौ दिन पूरक पोषण आहार दिया जाता हैं। वर्तमान में 06 माह से 06 वर्ष तक के बच्चों को रूपये 8.00 प्रति बच्चा प्रतिदिन के मान से 12-15 ग्राम प्रोटीन एवं 500 कैलोरी युक्त पोषण आहार दिये जाने का प्रावधान है। गंभीर कुपोषित बच्चों को रूपये 12.00 प्रति बच्चा प्रतिदिन के मान से 20-25 ग्राम प्रोटीन एवं 800 कैलोरी युक्त पोषण आहार तथा गर्भवती/ धात्री माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को रूपये 9.50 प्रति हितग्राही प्रतिदिन के मान से 18-20 ग्राम प्रोटीन एवं 600 कैलोरी युक्त पूरक पोषण आहार आंगनवाड़ी केंद्र के माध्यम से दिये जाने का प्रावधान है।
2.स्वास्थ्य जांच –
प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र में प्रत्येक माह किसी एक मंगलवार/शुक्रवार अथवा स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्षेत्र हेतु निर्धारित दिवस में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा के सहयोग से ए.एन.एम (महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता) अथवा अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा महिलाओं तथा बच्चों की स्वास्थ्य जाँच की जाती है तथा जाँच के आधार पर स्वास्थ्य में सुधार हेतु आवश्यक सलाह दी जाती है।
3.संदर्भ सेवाएँ –
उपचार हेतु आवश्यक होने पर महिलाओं एवं बच्चों (विशेष रूप से चिकित्सकीय लक्षण वाले अति गंभीर कुपोषित) को स्वास्थ्य जांच के आधार पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा स्वयं अथवा आशा के सहयोग से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला स्तरीय चिकित्सालयों में संदर्भित किया जाता है।
4.टीकाकरण –
प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र अथवा क्षेत्र अंतर्गत प्रतिमाह किसी एक मंगलवार/शुक्रवार अथवा स्वास्थ्य विभाग द्वारा केंद्र क्षेत्र हेतु निर्धारित दिवस में टीकाकरण के लिये निर्धारित रहता है। उक्त दिवस में ए.एन.एम द्वारा पात्रतानुसार बच्चों, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है।
5.पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा –
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा स्वयं अथवा आशा एवं ए.एन.एम के सहयोग से आंगनवाड़ी क्षेत्र में गृहभेंट करने का प्रावधान है। गृहभेंट के दौरान महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित जानकारी व परामर्श दिया जाता है।
6.स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा –
आंगनवाड़ी केन्द्रों का उद्देश्य बच्चों का मानसिक विकास करना भी है जिससे वह प्राथमिक स्कूल में और बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल-खेल में अनौपचारिक शिक्षा दी जाती हैं। बच्चों को प्राकृतिक संसाधनों जैसे -जल, जंगल, जानवर, इत्यादि के बारे में प्रारंभिक ज्ञान से अवगत कराया जाता है।