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नॉलेज/अश्व, गज, गरुण नए संसद भवन के 6 द्वारों का अलग-अलग जानवरों के नाम से क्या है कनेक्शन?

lokvikasindia by lokvikasindia
September 18, 2023
in जनरल नॉलेज
0
नॉलेज/अश्व, गज, गरुण नए संसद भवन के 6 द्वारों का अलग-अलग जानवरों के नाम से क्या है कनेक्शन?

अब वह समय करीब आ गया है, जब नए संसद भवन से लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हो जाएगी और पुराना संसद भवन इतिहास बन जाएगा. हम सब जानते हैं कि नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी विधि-विधान के साथ पहले ही कर चुके हैं. रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नए संसद भवन के गज द्वार पर तिरंगा फहराया. इस तरह शिलान्यास, उद्घाटन के बाद एक और महत्वपूर्ण आयोजन यहां हुआ.

अपनी अनूठी वास्तुकला की वजह से नया संसद भवन पहले ही सुर्खियां बटोर चुका है. नए भवन के सभी 6 द्वारों पर लगे जानवरों के आध्यात्मिक, पौराणिक महत्व क्या है? ये सब कहां से प्रेरित होकर यहां स्थापित किये गए हैं. यूं तो नए भवन में तीन द्वार ज्ञान, शक्ति एवं कर्म की चर्चा ज्यादा हुई है. मतलब, तीन गेट चर्चा में रहे हैं. असल में इस भवन में प्रवेश, निकास के कुल छह द्वार हैं. ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार का इस्तेमाल प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति एवं लोकसभा अध्यक्ष करेंगे. बाकी तीन मकर, हंस और शार्दूल द्वार का इस्तेमाल संसद सदस्य, आमजन और अधिकारी-कर्मचारी आदि करेंगे.

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आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व

अयोध्या के आचार्य स्वामी विवेकानंद बताते हैं कि नए संसद भवन के द्वार पर जितने भी जानवर की प्रतिमाएं स्थापित हैं. उनका बड़ा आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व है. शास्त्रों में यह सब हमारी संस्कृति और ज्ञान के प्रतीक हैं. चलते रहने की प्रेरणा देते हैं. सुख, शांति, समृद्धि के द्योतक हैं. शुभ जानवरों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर अभिभावक मूर्तियों के रूप में स्थापित की गई हैं. आइए जानते हैं कि संसद के 6 द्वारों का अलग-अलग जानवरों के नाम से कनेक्शन क्या है.

गज: यह उत्तर दिशा में है. गज यानी की हाथी. यहां हाथी की दो मूर्तियां स्थापित हैं. हाथी ज्ञान, उन्नति, धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है. यह आकांक्षाओं का भी प्रतीक है. गज भगवान गणेश के प्रतिनिधि हैं. नव निधियों के भी प्रतीक है. उत्तर दिशा का संबंध बुध ग्रह से है, जो उच्च बुद्धि का स्रोत है.

अश्व: दक्षिणी प्रवेश द्वार पर सतर्क और तैयार अश्व यानी घोड़ा है. अश्व धैर्य और शक्ति, ताकत और गति का प्रतीक है. शास्त्रों में इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है. यह सतत चलायमान होने का भी प्रतीक है. इससे भारतीय संसद की गुणवत्ता का प्रतिनिधि भी कह सकते हैं, जो कभी रुकेगी नहीं, जनहित में चलती रहेगी. अश्व की प्रतिमा ओडिशा के सूर्य मंदिर का प्रतिनिधित्व करती है. वहां से प्रेरित है.

गरुड़: यह प्रतिमा पूर्वी औपचारिक प्रवेश द्वार पर स्थापित है, जो देश के लोगों और प्रशासकों की आकांक्षाओं का प्रतीक है. शास्त्रों में यह आशा, जीत की महिमा और सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं. भगवान विष्णु के वाहन हैं. शास्त्रों में उल्लेख है कि उड़ते समय इनके पंखों से वेद ध्वनि निकलती है. इन्हें विष हर्ता भी कहा गया है. भगवान को भोग लगाते समय मंदिरों में इसे बजाकर इनका आह्वान किया जाता है, जिससे भोजन में अगर कोई विषाक्त पदार्थ है तो उसका प्रभाव समाप्त हो. यह प्रतिमा तमिलनाडु में 18 वीं सदी के नायका काल से प्रभावित है.

मकर: यह एक पौराणिक जलीय जीव है. मकर विभिन्न जानवरों के शारीरिक अंगों को जोड़ता है, जो देश के लोगों के बीच विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है. शास्त्रों में मकर को कामदेव की ध्वजा का चिन्ह बताया गया है. यह वरुण देव एवं मां गंगा का वाहन भी है. मकर को कर्नाटक के होयसलेसवरा मंदिर से प्रेरित बताया गया है.

शार्दूल : यह एक अन्य पौराणिक जीव के रूप में जाना जाता है, जो सबसे शक्तिशाली, सभी जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है, जो देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है. ओजस्विता और विजय का प्रतीक है. मां दुर्गा की सवारी है. शार्दूल की मूर्ति ग्वालियर के गुजरी मंदिर से प्रेरित बताई जाती है.

हंस: उत्तर पूर्व के सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर हम्सा या हंस लोगों का ध्यान खींचेंगे. शास्त्रों में हंस मां सरस्वती का वाहन है. शांति और विद्या का प्रतीक है. शांति-सद्भाव का प्रतीक है. भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक हंसावतार भी हुआ है. यह कर्नाटक के हम्पी स्थित विजय विताला मंदिर से प्रेरित है.

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